👏कोया वंशीय गोंड समुदाय के गण्डजीव खुट पूजा (गोंगो) यह त्योंहर आषाढ़ माह की पुर्णिमा को मनाते है। खुट इस गोंडी शब्द का अर्थ शक्ति ऐसा होता है। प्रकृति की जितनी भी शक्तियाँ है, उन सभी की उपासना को खुट पूजा कहा जाता है।
उनकी मान्यता के अनुसार प्रकृति ऐसी अद्भुत है कि उसमे जितने भी सत्व है वे सभी शक्ति रुप है।
उनकी सहायता के बिना मनुष्य जिवन दुभर हो जाता है। अत: उन सभी सत्वो की निरंतर प्राप्त होती रहे
इसलिए गोंडी पुनेम दर्शन मे उन सभी की सेवा तथा उपासना करना यह प्रत्येक गण्डजीव का कर्तव्य है। अन खुट, धन खुट, गण्ड खूट, माई खूट, मरा खुट, वेली खूट, चिडी खूट, मिच्चो खूट, जाई खूट, तोडी खूट, मोडी खूट, कासो खुट, येर खूट, वडी खूट, खडोरा खूट, भन्ठा खूट, धन्ठा खूट, तारा खूट, मारा खूट, मूला खूट, अहेदा खूट, महेदा खूट, ऐसे एक सौ छहतर खूटो की उपासना की जाती है।
संक्षिप्त मे यह कहा जा सकता है कि इस प्रकृति मे जितने भी दृश्य अदृश्य सत्व है और जो अपने आप मे शक्ति रुप है उन सभी सत्वो की गोंगो याने खूट पूजा है। खूट पूजा को आखाडी पूजा भी कहा जाता है। धन खूट याने धन खूट याने धन की शक्ति, अन खूट याने अनाज की शक्ति, गण्ड खूट याने मनुष्य जीवों की शक्ति, चिडी खूट याने पक्षियों की शक्ति, कटयाल खूट याने प्राणि मात्रो की शक्ति, मडा खूट याने पेड पौधों की शक्ति, तडास खूट याने रेंगनेवाले जिवाश्मो की शक्ति, मिच्चो खूट याने बहुपैरवाले जिवाश्मो की शक्ति, सुक्कूम खूट याने तारांगणों की शक्ति, माटिया खूट याने चक्रवात की शक्ति, तोडी खूट याने धरती की शक्ति, अगास खूट याने पोकरण शक्ति, येर खूट याने जल शक्ति। इसतरह सभी दृश्य तथा अद्भुत शक्तियों की सेवा की जाती है। इन सभी शक्तियों का सहयोग जीने के लिए अनिवार्य होता है।
इस धरातल पर जितने भी प्राणि मात्रां है, फिर वे पैरवाले, चार पैरवाले, छह पैरवाले तथा बहु पैरवाले हो, पंखधारी तथा बिना पंखधारी हो सभी की पूजा की जाती है। सभी शक्तियां एक दुसरे के पूरक है जिन पर कोया वंशीय गण्डजीवों का जीवन निर्भर होता है।
अन खूट और धन खूट की पूजा इसलिए की जाती है की उसके बिना हम नहीं रह सकते। दैईत खूट और मईत खूट की पूजा की जाती है क्योंकि जीवाश्मों को अमरत्व यदि प्राप्त हुवा तो सभी का जिना दुभर हो जायेंगा। देईत खूट याने जीवन दायीनी शक्ति और मईत खूट याने हरनी शक्ति है। यदि जीवन दाईनी शक्ति और जीवन हरणी शक्ति ने अपना कर्तव्य करना बंद कर दिया तो जन्म मरण का चक्र ही बंद हो जायेंगा।
इसलिए उनकी उपासना भी की जाती है। प्रकृति के सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवाश्म फिर वे चाहे साधक हो या बाधक और बडे से बडे प्राणी फिर चाहे हिन्स् हो या अहिंसा सभी की सेवा करना अनिवार्य है। इसलिए कोया वंशीय गोंड समुदाय के गण्डजीव इन सभी जीवसत्वो की उपासना खूट पूजा के पर्व पर करते है।
जिस दिन खूट पूजा (गोंगो) की जाती है उस दिन घर आंगन की साफ साफई की जाती है। सुबह सभी खूटों के नाम से नैवेद्य चढाया जाता है और सांज को पंच पक्वान युक्त भोजन तैयार कर उनकी पूजा (गोंगो) की जाती है।।।।
💐💐 फड़ापेन ता सेवा सेवा 💐💐
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