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आदिवासियों की आस्था ही नहीं, प्रकृति तत्वों, जीवों एवं वनस्पतियों के व्यवहार का दिव्यदृष्टि परख ज्ञान और विज्ञान की मान्यता भी है कि प्रकृति की सर्वोच्चशक्ति बड़ादेव (निराकार) है. बड़ादेव (जिसमे उत्पत्ति एवं विनाश की शक्ति है) द्वारा प्रकृति की संरचना रची गई. इसके पश्चात जीवों की उत्पत्ति हुई तथा सूरज, चाँद, तारे आदि इसी संरचनात्मक संचलन शक्ति से यथास्थान स्थापित हुए. तब से सभी ग्रह नक्षत्र सतत रूप से अपने पथ पर पुकराल में परिभ्रमण कर रहे हैं. आदि अनंतकाल से इन्ही प्राकृतिक तत्वों, जीवों एवं वनस्पतियों के व्यावहारिक शक्तियों को अपने जीवन के सांस्कारिक व्यवहार में उतार कर जीवन जीने की कला का प्रमाण ही आदिवासीपन है.
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