*#आखाड़ी पूर्णिमा_खुट गोंगो (पुजा) #* जानिए....मानिए (हमारी धरोहर_पुरखा संस्कृति) कोया वंशीय गोंड समुदाय के गण्डजीव खुट पूजा (गोंगो) यह त्योंहर आषाढ़ माह की पुर्णिमा को मनाते है। खुट इस गोंडी शब्द का अर्थ शक्ति ऐसा होता है। प्रकृति की जितनी भी शक्तियाँ है, उन सभी की उपासना को खुट पूजा कहा जाता है। उनकी मान्यता के अनुसार प्रकृति ऐसी अद्भुत है कि उसमे जितने भी सत्व है वे सभी शक्ति रुप है। उनकी सहायता के बिना मनुष्य जिवन दुभर हो जाता है। अत: उन सभी सत्वो की निरंतर प्राप्त होती रहे इसलिए गोंडी पुनेम दर्शन मे उन सभी की सेवा तथा उपासना करना यह प्रत्येक गण्डजीव का कर्तव्य है। अन खुट, धन खुट, गण्ड खूट, माई खूट, मरा खुट, वेली खूट, चिडी खूट, मिच्चो खूट, जाई खूट, तोडी खूट, मोडी खूट, कासो खुट, येर खूट, वडी खूट, खडोरा खूट, भन्ठा खूट, धन्ठा खूट, तारा खूट, मारा खूट, मूला खूट, अहेदा खूट, महेदा खूट, ऐसे एक सौ छहतर खूटो की उपासना की जाती है। संक्षिप्त मे यह कहा जा सकता है कि इस प्रकृति मे जितने भी दृश्य अदृश्य सत्व है और जो अपने आप मे शक्ति रुप है उन सभी सत्वो की गोंगो याने खूट पूजा है। खूट पूजा को आखाडी पूजा भी कहा जाता है। धन खूट याने धन खूट याने धन की शक्ति, अन खूट याने अनाज की शक्ति, गण्ड खूट याने मनुष्य जीवों की शक्ति, चिडी खूट याने पक्षियों की शक्ति, कटयाल खूट याने प्राणि मात्रो की शक्ति, मडा खूट याने पेड पौधों की शक्ति, तडास खूट याने रेंगनेवाले जिवाश्मो की शक्ति, मिच्चो खूट याने बहुपैरवाले जिवाश्मो की शक्ति, सुक्कूम खूट याने तारांगणों की शक्ति, माटिया खूट याने चक्रवात की शक्ति, तोडी खूट याने धरती की शक्ति, अगास खूट याने पोकरण शक्ति, येर खूट याने जल शक्ति। इसतरह सभी दृश्य तथा अद्भुत शक्तियों की सेवा की जाती है। इन सभी शक्तियों का सहयोग जीने के लिए अनिवार्य होता है। इस धरातल पर जितने भी प्राणि मात्रां है, फिर वे पैर वाले, चार पैर वाले, छह पैर वाले तथा बहु पैर वाले हो, पंखधारी तथा बिना पंखधारी हो सभी की पूजा की जाती है। सभी शक्तियां एक दुसरे के पूरक है जिन पर कोया वंशीय गण्डजीवों का जीवन निर्भर होता है। अन खूट और धन खूट की पूजा इसलिए की जाती है की उसके बिना हम नहीं रह सकते। दैईत खूट और मईत खूट की पूजा की जाती है क्योंकि जीवाश्मों को अमरत्व यदि प्राप्त हुवा तो सभी का जिना दुभर हो जायेंगा। देईत खूट याने जीवन दायीनी शक्ति और मईत खूट याने हरनी शक्ति है। यदि जीवन दाईनी शक्ति और जीवन हरणी शक्ति ने अपना कर्तव्य करना बंद कर दिया तो जन्म मरण का चक्र ही बंद हो जायेंगा। इसलिए उनकी उपासना भी की जाती है। प्रकृति के सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवाश्म फिर वे चाहे साधक हो या बाधक और बडे से बडे प्राणी फिर चाहे हिन्स् हो या अहिंसा सभी की सेवा करना अनिवार्य है। इसलिए कोया वंशीय गोंड समुदाय के गण्डजीव इन सभी जीवसत्वो की उपासना खूट पूजा के पर्व पर करते है। जिस दिन खूट पूजा (गोंगो) की जाती है उस दिन घर आंगन की साफ साफई की जाती है। सुबह सभी खूटों के नाम से नैवेद्य चढाया जाता है और सांज को पंच पक्वान युक्त भोजन तैयार कर उनकी पूजा (गोंगो) की जाती है।।।। ******************* गोंडवाना भुप्रदेश में निवास करने वाले कोया वंशिय, मुल वंशिय ,गोंडीयन समुदाय के कुछ महत्वपुर्ण *पण्डुमों (तिहारों )* के बारें में समझते है जाणते है . तथा *आपसी एकता* की किमत समझते है . ******************** प्रिय गोंडीयन सगाजीवों ,हम इस धरती पर पैदा हुये सभी कोयावंशिय गोंडवाना भु भाग मे निवास करने वाले कोयावंशिय गोंडीयन है . लेकिन अलग अलग व्यवसाय नुसार हमें अलग अलग जमातीयों मे बांट दिया गया और हम आज वही हमारी पहचान लेकर हम जी रहे है . हमारी जमातीयोंमें से कुछ जमातीयां शहर मे आकर बस गई और आगे पढने-लिखने की वजह से नौकरी या व्यवसाय मे लगकर ,बाकी गैर गोंडीयनों के साथ रहकर हमारी अपनी ही कुछ जमातीयां जो जंगलों मे रहती है उनसे दुरियां करने लगी . जो आज बडी तादाद में जंगलों मे निवास करती है, उन्हें आज भी हमारी ही कुछ जमातीयां हिन दर्जा की समझती है . और आज हम ही शहर में आकर बसे हुये थोडे पढे लिखे कुछ जमातीयों के कुछ गिने चुने लोग पुर गोंडीयन जमातियों मे फुट डालने का काम कर रहे है . आज दुर दराज के जंगलो, पहाडो ,देहातों मे ,ग्रामों मे कुछ ना कुछ तौर पर पढे- लिखे गोंडीयन लडके होने से, आज उनके गांव में गोंडीयन संघटनावों के बोर्ड लगे है. और वह सभी अपने आप पर गोंडीयन होने पर गर्व महसुस करते है . और हमारी ही कुछ जमातीयों के लोग ,खुद को उस जमाती के मुखियां समझकर गाव में जो सभी जमातीयों मे एकी है वहां जाकर "बोर्ड ऐसा नही ऐसा होना है "इस प्रकार आजकल व्यवहार करके गांवों का माहौल बिघाडने का काम कर रहे है . यह सरासर गलत है , फिर भी आप सभी सुज्ञ हो, आप ही कुछ समझकर समुदाय मे एकता को मजबुत रख सकते हो , वर्ना गैरो के द्वारा हमे गुलाम होणे मे ज्यादा देर नही लगेगी. खैर सुज्ञ सगावों क्या बताना . चलो हमारी कुछ जमातीयों की हाल में सर्वेक्षण निरीक्षण होणे जा रहा है की , वे आज किस संस्कृती नुसार अपने जन्म से मृत्यू तक के संस्कार करते है ,उस पर से यह आज की राजकिय- प्रशासकीय व्यवस्था अनुमान लगायेगी की यह जमात अनुसुचित जमातीयों मे आती या नही आती .? हम अगर हमारी गोंडीयन मुल संस्कृती भुल गये तो हमारी गिनती गैर गोंडीयनों में होना तय है . इस लिये हमने हमारे तिज तौहार ,हमारी अपनी गोंडीयन तिथी पर ही हमारी परंपरा नुसार ही मनाना चाहिये . इस लिये उन की जाणकारी हम समझते है . कोया वंशिय गोंड समुदाय के गण्डजीव अनेक तिज तौहारों को मानते है ,जिन्हें "पण्डुम "कहां जाता है . कुछ महत्वपूर्ण पण्डुमों (तिहारों ) की सुची निम्न प्रकार की है . *तिहारों ( पण्डुमों) के नाम और तिथी .* 1) *सयमुठोली पण्डुम* (पांच पावली ) = माघ पूर्णिमा. 2) *संभु नरका पण्डुम* (शिव जागरण) = माघ अमावस्या के दो दिन पुर्व . 3) *शिमगा पण्डुम* (होली या शिवमगवरां ) = फाग पूर्णीमा. 4) *खणडेरा पण्डुम* (मेघनाथ पुजा ) = फाग पूर्णिमा पाडवा. 5) *रावेणमुरी पण्डुम* (रावण पुजा ) = फाग पूर्णिमा पंचमी. 6) *माण्ड अम्मास पण्डुम* = फाग अमावस . 7) *भीमालपेन पूजा* = चैत्र पूर्णिमा . 8) *माता दाई पुजा* = चैत्र पूर्णिमा पंचमी . 9) *नलेज पूजा*= चैत्र अमावस 10) *इरुक पुनो तिंदाना पण्डुम* = वैशाख पंचमी. 11) *फडापेन पुजा (परसापेन)* = वैशाख पूर्णिमा . 12) *संजोरी बिदरी पण्डुम* = ज्येष्ठ पूर्णिमा . 13) *हरियोमास पण्डुम* = ज्येष्ठ अमावस . 14) *खुट पुजा (आखाडी)* = आषाढ पूर्णिमा . 15) *सगापेन पूजा (जीवती)*= आषाढ अमावस . 16) *नाग पुजा* ( अही पंचमी) = श्रावण पंचमी . 17) *सैला पुजा पण्डुम (नृत्य पूजा )*= श्रावण पूर्णिमा. 18) *पोरा षडगा ( पोला )* = श्रावण अमावस . 19) *दाना पुनो तिंदाना (नया खाना )* = भादो पूर्णिमा पंचमी. 20) *नरुंग दाई पूजा* = अश्विन दशमी . 21) *जंगो लिंगो लाटी पूजा* = कार्तिक पंचमी . 22) *नार पूजा*= कार्तिक पूर्णिमा . 23) *कली कंकाली दाई पूजा* = पौष अमावस . *इस प्रकार हमारे मुख्य तिज तौहार है* इसे आप पुरे होश के साथ ध्यान में रखकर मनावोगे . *इसी बडी उम्मीद के साथ हम आप सभी की ओर से पूज्यनीय मोतीरावन कंगाली आचार्य जी को भावभीनी आदरांजली अर्पीत करते हैं । 💐💐🙏🙏* संकलन- गोंडी पुनेम दर्शन *सभी को सेवा-सेवा। सेवा-जोहार ....* 👏👏👏👏👏👏👏
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