गोंडी सभ्यता में भेलवा को
एकवचन में कोहका और बहुवचन में कोहकांग कहा जाता हैै ।
इसके पेड़ को कोहका मढ़ा और इसके बीज को कोहका पड़े कहा जाता है
इसके बीज और इसके फल को भून कर खाया भी जाता है इसको कच्चा नही खा सकते क्योंकि इसके बीज में जो तेल होता है वह हमारी त्वचा के जिस किसी भाग में लग जाता है वहां खुजली, घाव और फोड़े हो जाते है,
यही कारण है कि इसके फल और बीज और बीजों से निकले तेल का उपयोग करने से पहले इसे इसके फल और बीज को भुना जाता है जिससे फल खाने योग्य बन जाता है और इसका तेल उपयोग के लायक हो जाता है
इसके तेल का इस्तमाल करने और इसका तेल बीज से निकलने के लिए इसके बीज में एक छोटा सा छिद्र किया जाता है उसके बाद इस बीज को गर्म किया जाता है जिससे इस बीज के अंदर का तेल भी गर्म हो जाता है ,
उस गरम तेल का उपयोग आप औषधि के रूप में कर सकते है हमारे बुजुर्गो द्वारा कहा जाता था ये पौधा का तेल बहुत गुणकारी है और वाकई में यह पौधा बहुत गुणकारी है हमारे दैनिक जीवन में कोहका के तेल का वर्तमान में फटी एड़ियों,पैर के उंगलियों में होने वाली खुजली और घाव के उपचार में किया जाता है
(आपके यहां इस पौधे के किस भाग का क्या उपयोग होता है मुझे ईमेल कर के अवश्य बताएं)
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ajay gote
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