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सुभाष मर्सकोले/ सुबु रावेन गोंड

बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं जी 


• आदिवासी युवा……..
• सुबु रावेन का कहना था ।
बिछड़ जाएंगे अपने हमसे,
अगर कोई अन्य भाषा टिक जाएगी,
मिट जाएगा वजूद हमारा,
अगर गोंडी भाषा मिट जाएगी!


• …………………………………………
सुबु सुभाष मर्सकोले एक भारतीय आदिवासी समाजसेवक हैं। गोंडवाना के प्रति बहुत लगाव हैं । वर्तमान में पूरा देश उन्हें सुबु रावेन (गोंड)- के नाम से जानता है। वह एक भारतीय आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता है। और वहा अभी युवा है सुबु- रावेन (गोंड) ने ये सोचा की विकास के मामले में केवल भ्रष्टाचार ही एक सबसे बढ़ी बाधा है। साथ ही आदिवासीयो के साथ हो रहे अन्याय, शोषण और अत्याचार होने पर इसके खिलाफ आवाज उठाना और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के साथ ही सरकारी कार्यों को पारदर्शी बनाने और जनता की सेवा करने, भ्रष्टाचार की जाँच करने तथा सजा देने के लिए आवाज उठाते है ।

आज हम एक ऐसे ही युवा के बारे में हर छोटी-छोटी बात जानेंगे ….
समाज सेवक सुबु रावेन – (गोंड) का जीवन परिचय, 
व्यक्तिगत जीवन :
यह भी जरुर पढ़े –
सुबु रावेन (गोंड) का जन्म 25 मई 2002 को मध्यप्रदेश , बालाघाट जिले के निकट गांव कछुरना+कटेगांव में एक गोंड परिवार में हुआ है। सुबु रावेन (गोंड) का पूरा असली नाम सुभाष मर्सकोले है। सुबु रावेन के पिता का नाम तिरु. मोहनलाल मर्सकोले है। उनकी माँ का नाम तिरुमाय. अनिता मर्सकोले है, उनके छोटे भाई का नाम शुभम मर्सकोले है, उनका बचपन बहुत गरीबीमें गुजरा। पिता किसान थे तथा दादा भी किसानी करते थे। दादा जी का मूल गांव रमरमा +डोंगरबोड़ी में हैं। सुबु की दादी के लिए उनके दादा लमजड़े आए थे कछूरना में ।वैसे सुबु के पूर्वंजों का गाँव बालाघाट जिले में ही स्थित डोंगरबोडी+रमरमा में है। सुबु का एक छोटा भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर सुबु की पढ़ाई धीरे धीरे पूरी हुई 
सुबु – रावेन (गोंड) की शिक्षा 

आर्थिक की वजह से ज्यादा नहीं पढ़ पाए । किसानी के दौरान उनका परिवार अपने गांव कछुरना में उनकी भूमि में कृषि खेती कर अपना जीवन व्यतीत करने लगे।

सुबु रावेन (गोंड) के अन्य सामाजिक कार्य-
 उनका कहना यह था ।
अगर करना है सच में समाज सुधार
तो मजबूती से करो गोंडी भाषा सीखने में मेहनत गोंडी भाषा है ,
 गोंडी संस्कृति का जड़ इसे बंद मत करो सीखने और बोलने में...

मध्यप्रदेश – भारत में आदिवासी के साथ हो रहे अत्याचार, शोषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन. जमीनी स्तर और सोशल मीडिया के तहत... न्याय दिलाते है ।।

 आदिवासी समुदाय के बहुत से लोगो के साथ मिल कर लोगो को अपने समाज में हो रहे अन्याय, अत्याचार, शोषण के बारे बता कर उन्हें जागरूक करता है न्याय की लड़ाई लड़ता है।
 धर्म पूर्वी , रूढ़ी प्रथा , बोली भाषा , साथ ही गोंडी भाषा के बारे में भी लोगो को बता कर जागरूक करता है सामाजिक कार्य भी करता । है
एसे जाबाज युवा को मेरा दिल से लाल सलाम ।।
वर्तमान में अभी ओ गोंड समाज महासभा एवम् गोंड युवा प्रकोष्ठ GYP संगठन से जुड़ा हुआ है ।। बहुत सारे सामाजिक संगठनो के कार्यकर्ता ओ के साथ जुड़ा है ।। धीरे धीरे ही सही एसे नव जवानों की वजह से युवा प्रेरित होकर जाग तो रहे है ।। 
सुबु रावेन का मुख्य उद्देश यह था कि उसका समाज का शोषण होना बंद हो ओ उन्हे उनका हक और अधिकार मिल जाए।।



 

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