Ad Code

रूपोलंग पाड़ी पहांदी कुपाड़ लिंगो के शिष्यों द्वारा सम्पूर्ण कोयामुर्री दीप के कोयतूर गंडजीवों के

रूपोलंग पाड़ी पहांदी कुपाड़ लिंगो के शिष्यों द्वारा सम्पूर्ण कोयामुर्री दीप के कोयतूर गंडजीवों के 

(गोंदोला) को उक्त सगा पाडी या गौत्र शाखाओं में संरक्षित करने के पश्चात कालान्तर में 3रें गोंडी पुनेम मुठवा (गुरू) राय लिंगों के कार्य काल में 5 भूमकाओ की सगा गौत्र संख्या 8देव/पेन सगा, 9 पेन सगा,10 पेन सगा,11 पेन सगा और 12 पेन सगाओ के जो गोंडी गोंदोला (गोंडी समुदाय) के गंड जीव थे उन्हे उनके सगा गौत्र में विलीन किया गया और *ऐसा नियम बनाया गया कि सम सगा गौत्र धारक गंड जीवों के नेंग -दस्तूर, गोंगो (पूंजा) में भूमका (पुजारी) का कार्य विषम सगा गौत्र धारक करेंगे उदाहरण के लिए 6 पेन (देव) सम सगा वाले के घर 7 पेन विषम गौत्र सगा धारक करेंगे और विषम सगा गौत्र धारक के घर भूमका (पुजारी) का कार्य विषम सगा गौत्र धारक आपस में करेंगे उदाहरण के लिए 7 पेन (देव) वाले के घर 6 पेन वाले भूमका या पुजारी का कार्य नेंग - दस्तूर, गोंगो , पूंजा में करेंगे।* 
*मतलब यानी कि सम सगा के घर विषम सगा गौत्र धारक और विषम सगा गौत्र धारक के घर सम सगा गौत्र धारक नेंग -दस्तूर, गोंगो, पूंजा में। भूमका/पुजारी का कार्य सगा समधी, जीजा, जवाई-दामाद और बहन - बेटी, फुवा करेंगे।*

 इसलिए 8,9,10,11 और 12 सगा गौत्र धारक की व्यवस्था आज विद्यमान नही हैं। गोंडी पुनेम/ कोयापुनेम के तीसरे मुठवा (गुरू) राय लिंगो ने उक्त 5 सगाओं का विलय उनके सगा गौत्र में किया गया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Close Menu